🌿 सितोपलादि लक्षण: घर बैठे आयुर्वेद का खजाना, गुण, विधि, मात्रा और चमत्कारिक लाभ
आयुर्वेद में कई ऐसे योग बताए गए हैं जिनमें घरेलू औषधियां बताई जा सकती हैं। ये न केवल बीमारियों को दूर करते हैं बल्कि हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को भी दूर करते हैं।
मित्रता में से एक है - सितोपलादि चूर्ण (सितोपलादि चूर्ण) ।
यह रसायन इतना सरल, सुरक्षित और गुणकारी है कि इसे हर घर की औषधि पोटली में रखा जाना चाहिए। बच्चा हो या बुजुर्ग, स्त्री हो या पुरुष - सबके लिए यही है।
🏡सितोपलादि वृक्षों का महत्व क्यों है?
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यह 100% प्राकृतिक और घरेलू औषधि है।
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इसका सेवन आसान है और कोई विशेष सहायक नहीं होना चाहिए।
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खांसी-जुकाम जैसे सामान्य रोग से लेकर टी.बी. और पुराना बुखार जैसे गोदाम में भी है।
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गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए भी सुरक्षित है।
🌱 सितोपलादि रसायन के घटक (Ingredients)
इस औषधि की विशिष्टता यह है कि इसके सभी घटक हमारे रसोई या औषधीय स्टोर में आसानी से मिल जाते हैं:
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दालचीनी (दालचीनी) - 5 ग्राम
👉 यह शरीर को गर्म करता है, पाचन सुचारु करता है और बलगम को नष्ट करता है। -
छोटी इलायची (इलायची) - 10 ग्राम
👉 मुंह का स्वाद सुधारती है, सांस को ताजगी देती है और पाचन शक्ति को बढ़ाती है। -
पिप्पली (पिप्पली) - 20 ग्राम
👉 आयुर्वेद में यह श्वासावरोधक रामबाण औषधि मानी जाती है। -
बंशलोचन (बंशलोचन) – 40 ग्राम
👉 यह बांस के तनों से प्राप्त प्राकृतिक औषधि है, जो खांसी और फेफड़ों के लिए अमृत है। -
मिश्री (मिश्री) - 80 ग्राम
👉 स्वाद को मधुर बनाता है, शरीर को शीतलता प्रदान करता है और औषधि को पुष्ट करता है।
🧾 घर बनाने की विधि (तैयारी)
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सबसे पहले मिश्री और बंशलोचन को अलग-अलग पीस लें।
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अब दालचीनी, इलायची और पिप्पली को प्राचीन शैली के नमूने बनाएं।
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सभी पिसे हुए मसालों को एक साथ पुराने अच्छे तरीके से फेंट लें।
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इस रसायन को कांच की शीशी या एयर-टाइट नवीनता में सुरक्षित रखा गया है।
💡 ध्यान रखें - यह हमेशा आकर्षक और आरामदायक जगह पर रहता है।
💊 सेवन की मात्रा और विधि (खुराक और उपयोग की विधि)
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बच्चों के लिए – ½ ग्राम (चार रत्ती)
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वीडियो के लिए - 2 से 3 ग्राम (आधा ग्राम)
👉 सेवन का उपाय:
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कफ प्रमुख रोग - सिर्फ शहद के साथ लें।
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वात-पित्त रोग - पहले एक महीन घी, फिर छोटी छोटी मखमली चाटें।
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कफ़ अवे में अलोन हो - आधा मंझ घी + शहद के साथ लें।
📌 खाने का समय - सुबह और शाम, भोजन से पहले।
🌟 सितोपलादि अनुपात के लाभ (Benefits)
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खांसी और सांस की बीमारी में
👉 बलगम को आसानी से बाहर निकाला जा सकता है। -
पुराना बुखार और मंदबुद्धि बुखार
👉 लंबे समय से चल रहे बुखार को कम करने में मदद मिलती है। -
छाती की जलन और हाथ-पैरों की जलन
👉 शरीर की जलन को शांति मिलती है और ठंडक मिलती है। -
भूख बढ़ाने वाला
👉 अरुचि और अपच की समस्या बहुत है। -
क्षय रोग (टीबी) की खांसी
👉 इसमें मौजूद पिप्पली और बंशलोचन फेफड़े को प्रभावित किया जाता है। -
गर्भवती महिलाओं के लिए
👉 गर्भकाल में 2 ग्राम सितोपलादि चूर्ण + 1 रत्ती गर्भपाल रस + शहद = स्वस्थ और पुष्ट शिशु। -
बच्चों और वृद्धों के लिए सुरक्षित
👉 यह सौम्य औषधि है, कोई नुकसान नहीं करती। -
जुकाम और बलगम की समस्या में रामबाण
👉 बिगड़ा हुआ जुकाम हो या सूखा कफ, दोनों में यह असरदार है।
⚠️ सावधानियाँ (Precautions)
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चिकित्सक की सलाह से ही नियमित सेवन करें।
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अधिक मात्रा में सेवन करने से दस्त या पाचन संबंधी समस्या हो सकती है।
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गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं आयुर्वेदाचार्य से परामर्श लेकर ही सेवन करें।
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चूर्ण हमेशा कांच/मिट्टी की शीशी में ही रखें, प्लास्टिक में नहीं।
✅ निष्कर्ष
सितोपलादि चूर्ण आयुर्वेद का खज़ाना है। यह साधारण जुकाम से लेकर गंभीर श्वास रोगों तक लाभकारी है।
घर पर आसानी से बनने वाला यह योग बच्चों, बड़ों और गर्भवती महिलाओं – सभी के लिए सुरक्षित है।
यदि आप अपने परिवार के लिए एक ऐसी घरेलू दवा रखना चाहते हैं जो हर मौसम में काम आए, तो सितोपलादि चूर्ण सबसे अच्छा विकल्प है।

1 Comments
Good
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