गठिया रोग (Arthritis Treatment)
जब हम खड़े होकर पानी पीते है तो पानी के साथ वायु हमारे घुटनों तक पहुंच जाती है ,जिससे गठिया बाय का रोग होने की संभावना रहती है । जब भोजन नहीं पचता तो कच्चा रस इक्कठा होने लगता है । जिस कारण गठिया होने लगती है । वैसे तो यह रोग ज्यादातर आरामदायक जीवन बिताने वालो को होता है । मोटापा ,धूम्रपान, अनियमित ओर जल्दी भोजन करना, कब्ज रहना आदि इसके लक्षण है।
जोड़ो तथा पैर के अंगूठे सुजन तथा दर्द से बीमारी की प्राथमिक झलक मिलती है ।
जोड़ो तथा पैर के अंगूठे सुजन तथा दर्द से बीमारी की प्राथमिक झलक मिलती है ।
यह एक ऐसा रोग है जो यदि एक बार हो जाए तो अपना प्रभाव तेज़ी से दिखाता है ।
गठिया रोग के कारण-
गठिया की शुरुवात सुकुमार प्रकृति ,मोटापा, दिन में सोने और रात में जागने वालो तथा गरम पदार्थो का सेवन करने वालों को होती है।
शराब ,अजीर्ण अवस्था में गरिष्ठ भोजन करने वालो में यह अधिक पाया जाता है ।
गठिया भी मधुमेह की तरह पाचन तथा मेटाबोलिज़्म का रोग है ।
इससे रक्त में बुरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है जो दालों से मिलने वाली प्युरीन नमक प्रोटीन का एक घटक होता है ।जिसके चलते अस्थी संधियों में सोडियम बाईयुरेट का जमाव क्रिस्टल के रूप में होने लगता है । इसका दर्द सुई की तरह तेज़ चुभने वाला होता है इसका जमाव गुर्दे तथा त्वचा में भी होता है ।
गठिया रोग में गुर्दे, मूत्राशय में दर्द या पथरी व धमनी सम्बन्धी समस्याएं होती है ।
गठिया रोग के लक्षण-
गठिया के रोगी को पहले पेट में जलन होती है।तथा गैस की अधिकता हो जाती है ।
भूख में गड़बड़ी या कमी तथा बैचैनी भी होने लगती है एवम् मुंह के स्वाद में भी इसका असर पड़ता है ।
अंगूठे के जोड़ो में एक या दोनों साइड सुजन हो जाती है और कभी कभी तेज़ दर्द होने लगता है ।
आधी रात को अचानक पैर के अंगूठे में पीड़ा होने लगती है जोड़ लाल पड़ जाते है तथा दबाने पर गढ्डा सा महसूस होने लगता है ।
रक्त परीक्षण यूरिक एसिड अधिक पाया जाता है । अस्थियों के संधिगत शिरो पर युरेट्स के क्रिस्टल का जमाव होता है जो एक्सरे द्वारा परीक्षण करने पर दिखता है स्वेत रक्त कोशिकाओं तथा ई एस आर में वृद्धि दिखाई देती है।
हाथो की उंगलियों के पोरों में पीलापन दिखाई देता है । तथा संधियों में विकृति आ जाती है ।
गठिया का रोगी पहले पहले तो मामूली बात समझकर इसे नज़रंदाज़ कर देता है एवम् दर्द की गोलियो का सेवन कर के ठीक होने की प्रतीक्षा करता है लेकिन तब तक रोग अपनी चरम सीमा तक पहुंच जाता है ।जिससे शारीरिक एवम् मानसिक पीड़ा होती है ।
अतएव प्रारम्भिक अवस्था में ही गठिया की पुष्टि होने पर इलाज करवा लेने से भविष्य में दर्दनाक पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है ।
गठिया के रोग या घुटनों के दर्द से निजात पाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें जिन पर अमल करके कुछ हद तक गठिया की परेशानी को कम कर सकते है -
गठिया की चपेट में आने वाले रोगी को अपनी जीवनशैली में बदलाव करना पड़ता है जिससे इस बीमारी से बचा जा सके।
लंबे समय तक पलाथी लगाकर बैठने से और पैर को एक के ऊपर एक क्रॉस बनाकर बैठने से इस बीमारी को बढ़ावा मिलता है ।
अधिक समय तक पलाथी मारकर न बैठे ।
कुर्सी पर बैठते समय या रात को बिस्तर पर सोते समय एक पैर पर दूसरे पैर को ज्यादा समय तक न रखे ।
अपने वजन को नियंत्रित रखे ।अधिक मोटापा न होने दे ।
कैल्शियम मिलने वाली चीजो का सेवन अधिक करें ।
सर्दियों में धूप का सेवन कर विटामिन डी प्राप्त करें जिससे हड्डियां व मांसपेशियों को मजबूती मिले ।
ज्यादा तंग कपड़े या जुते नहीं पहनें ।
ठंडे स्थानों पर ज्यादा न रहें ।
व्यायाम व कसरत को अपनी जीवनशैली में शामिल करें ।
अधिक ठंडे पानी से न नहाएं ।गुनगुना या हल्का गरम पानी उपयुक्त रहता है ।
अधिक ठंडे पानी से न नहाएं ।गुनगुना या हल्का गरम पानी उपयुक्त रहता है ।
गठिया /घुटनों के दर्द के घरेलू उपचार -
1.मैथी दाना रात को भिगोकर रख दे, सुबह उठकर मेथी दाने को चबा चबाकर खाएं और पानी को पी लें ।
2.एक दिन में 2 ग्राम ( गेहूं के दाने के बराबर ) चुना छाछ या दही के साथ खाने से 3 महीने में पुरानी से पुरानी गठिया ठीक हो जाती है ।
3.असगंध बूटी की जड़ और खांड बराबर मात्रा में लें तथा कूटकर पीसकर चूर्ण बना लें। प्रतिदिन दोनों समय पांच से दस ग्राम तक गरम दूध के साथ सेवन करे ।यह गठिया का अचूक इलाज है ।
4.अजवायन ,गूगल,मालकांगनी,काला दाना चारो ओषधियो को बराबर मात्रा में लेकर कूट पीस ले तथा जल मिलाकर चने के बराबर गोली बना ले 4 गोलियां दूध से ले ।कुछ दिन में गठिया के रोग से छुटकारा मिल जाएगा ।
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